स्वछंद उन्मुक्त फिजाओं मे पक्षी विचरें हरित तरुवर झूमेंगे अपनी मस्ती में। स्वछंद उन्मुक्त फिजाओं मे पक्षी विचरें हरित तरुवर झूमेंगे अपनी मस्ती में।
देश के इन बढ़ते ढलते हालातों में मस्जिद के नमाज तथा मंदिर के घंटो में देश के इन बढ़ते ढलते हालातों में मस्जिद के नमाज तथा मंदिर के घंटो में
करे विभा पर एक उपकार थल उच्छावित निर्झरश्वास भरता अभिनव सांस हुलास करे विभा पर एक उपकार थल उच्छावित निर्झरश्वास भरता अभिनव सांस हुलास
फिर भी धँसना है.. मौन मुझे.. हिमखण्डो का वो तेज लिए.. फिर भी धँसना है.. मौन मुझे.. हिमखण्डो का वो तेज लिए..
असह्य कर्कश पौरुष नाद बवंडर हो उठता है। असह्य कर्कश पौरुष नाद बवंडर हो उठता है।
ये गा रहा कोई राग है आज खिल उठा कोई बाग़ है ये गा रहा कोई राग है आज खिल उठा कोई बाग़ है